About Shiv Chalisa
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किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
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प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
O Common Lord, each morning like a rule I recite this Chalisa with devotion. Please bless me to ensure that I may be able to attain my product and spiritual wants.
कर के मध्य कमंडलु website चक्र त्रिशूल धर्ता ।